Ramdevra me ghumne ki jagah | रामदेवरा में घूमने की 10 सबसे खूबसूरत जगह

Ramdevra me ghumne ki jagah – भारत के राजस्थान राज्य में स्थित रामदेवरा, पूज्य संत बाबा रामदेवजी महाराज के निवास स्थान के रूप में अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। यह तीर्थ स्थल 14वीं सदी के संत बाबा रामदेवजी को समर्पित समाधि (मकबरे) के लिए प्रसिद्ध है, जो अपनी चमत्कारी शक्तियों और निस्वार्थ भक्ति के लिए जाने जाते हैं। देश भर से श्रद्धालु समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली का आशीर्वाद लेने के लिए रामदेवरा आते हैं।

1. Shri Baba Ramdev ji mandir Ramdevra Me ghumne ki jagah

Ramdevra me ghumne ki jagah

बाबा रामदेव, जिन्हें रामदेव पीर या रामदेवजी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान में 14वीं सदी के संत थे, जो अपनी भक्ति, चमत्कार और गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति करुणा के लिए जाने जाते थे। उनकी शिक्षाएँ धार्मिकता, ईमानदारी और मानवता की सेवा के महत्व पर जोर देती हैं।

भारत भर में बाबा रामदेव को समर्पित कई मंदिर और मंदिर हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक गाँव रामदेवरा में स्थित है। रामदेवरा मंदिर बाबा रामदेव को समर्पित मुख्य तीर्थस्थल माना जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से भक्त आशीर्वाद लेने और संत को श्रद्धांजलि देने के लिए इस मंदिर में आते हैं।

यह मंदिर विशेष रूप से राजस्थान में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जहां बाबा रामदेव को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है, विशेष रूप से उनके सम्मान में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले के दौरान, जिसे रामदेव जयंती के रूप में जाना जाता है, जिसे बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।

2. Parcha Bavdi Ramdevra Me ghumne ki jagah

Ramdevra me ghumne ki jagah

परछा बावड़ी, राजस्थान, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व वाला स्थल है। यह राजस्थान के नागौर जिले में स्थित है और एक प्राचीन बावड़ी है जो इस क्षेत्र की महत्ता और प्राचीनता को दर्शाती है।

परछा बावड़ी का निर्माण भारतीय वास्तुकला के प्रमुख उदाहरणों में से एक है। यहाँ की विशेषता उसकी विशालकाय और सुंदर शैली में है, जिससे यह स्थल दर्शनीय बनता है। इस बावड़ी में 16 खंभों का गणित उपयोग किया गया है जो इसे बहुत ही आकर्षक बनाता है।

यहाँ का माहौल प्राचीनता की भावना से भरा हुआ है और यहाँ की वास्तुकला और संरचना उस समय की महानता को दर्शाती है। परछा बावड़ी एक संतृप्ति और ध्यान का स्थल है जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को नवीनतम समय में भी सजीव बनाए रखता है।

इसके अतिरिक्त, यहाँ के स्थानीय लोग इसे अपने संस्कृति और परंपराओं का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं और इसे सुरक्षित रखने और संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। परछा बावड़ी भारतीय इतिहास और संस्कृति की अनमोल धरोहर को दर्शाने वाला एक अद्वितीय स्थल है।

3. Dali Bai kangan

Ramdevra me ghumne ki jagah

डाली बाई कंगन एक पवित्र आभूषण है जो राजस्थान के हिंदू देवता बाबा रामदेव से जुड़ा है। किंवदंती के अनुसार, डाली बाई बाबा रामदेव की भक्त थीं, जिन्होंने अपनी आस्था के प्रतीक के रूप में उन्हें एक जोड़ी चूड़ियाँ भेंट की थीं। बाबा रामदेव ने चूड़ियाँ स्वीकार कीं और उन्हें अपनी कलाइयों पर पहना। फिर उसने डाली बाई से कहा कि जब भी उसे उसकी मदद की जरूरत हो तो वह चूड़ियाँ तोड़कर उसे बुला सकती है। डाली बाई ने कई बार ऐसा किया और बाबा रामदेव हमेशा उनके बचाव में आए। कहा जाता है कि चूड़ियों में चमत्कारी शक्तियां होती हैं और ये भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर सकती हैं ।

जैसलमेर के रामदेवरा में बाबा रामदेव का मंदिर है, जहां डाली बाई की चूड़ियां रखी हुई हैं। कई तीर्थयात्री मंदिर में आते हैं और बाबा रामदेव और डाली बाई का आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर हर साल भाद्रपद के महीने में एक मेले का भी आयोजन करता है, जो विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों के लाखों लोगों को आकर्षित करता है। यह मेला सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है, क्योंकि बाबा रामदेव हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए पूजनीय हैं ।

4. Runicha kuaa

Ramdevra me ghumne ki jagah

रूणिचा कुआ, जिसे रानी की वाव (रानी की बावड़ी) के नाम से भी जाना जाता है, एक जटिल डिजाइन वाली बावड़ी है जो राजस्थान में नहीं, बल्कि भारत के गुजरात के पाटन शहर में स्थित है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में रानी उदयमती ने अपने पति चौलुक्य वंश के राजा भीमदेव प्रथम की याद में करवाया था।

यह बावड़ी अपनी आश्चर्यजनक वास्तुकला, विस्तृत मूर्तियों और जटिल नक्काशी के लिए जानी जाती है जो विभिन्न पौराणिक और धार्मिक विषयों को प्रदर्शित करती है। इसे न केवल जल भंडारण प्रणाली के रूप में बल्कि ध्यान और सामुदायिक समारोहों के लिए एक स्थान के रूप में भी डिजाइन किया गया था।

बावड़ी में पानी के स्तर तक जाने के लिए कई स्तर की सीढ़ियाँ हैं, जो अलंकृत पैनलों, देवताओं की मूर्तियों, पौराणिक प्राणियों और अन्य जटिल डिजाइनों से सजी हैं। इसकी अनूठी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व ने इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दिलाई है।

5. Ramdevji Panorama

Ramdevra me ghumne ki jagah

रामदेवजी पैनोरमा, श्रद्धेय संत बाबा रामदेवजी से जुड़े परिवेश या परिदृश्य के मनोरम दृश्य को संदर्भित करता है, जो भारत के राजस्थान में एक अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति हैं। वह एक लोक देवता हैं जो अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए जाने जाते हैं और क्षेत्र में कई लोग उनकी पूजा करते हैं।

बाबा रामदेवजी के भक्त अक्सर उनके जीवन, शिक्षाओं और उनसे जुड़े पर्यावरण का मनोरम चित्रण या प्रतिनिधित्व करते हैं। इन पैनोरमाओं में उनके जन्मस्थान, उनके ध्यान स्थलों, उनके जीवन में महत्व के स्थानों और राजस्थान के परिदृश्य जहां उनका प्रभाव प्रमुख है, के दृश्य शामिल हो सकते हैं।

राजस्थान अपनी समृद्ध संस्कृति, इतिहास और जीवंत परिदृश्यों के लिए जाना जाता है, जो थार के राजसी रेगिस्तान से लेकर आश्चर्यजनक महलों और किलों तक विविध प्रकार के दृश्यों की पेशकश करता है। रामदेवजी पैनोरमा का उद्देश्य बाबा रामदेवजी के जीवन और विरासत के साथ जुड़े राजस्थान की सुंदरता और आध्यात्मिकता के सार को पकड़ना हो सकता है।

6. Ram sarovar

Ramdevra me ghumne ki jagah

राम सरोवर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक प्रतिष्ठित तीर्थ स्थल है। यह पवित्र झील हिंदुओं के बीच अत्यधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती है। ऐसा माना जाता है कि यह महाकाव्य रामायण से जुड़ा है, जहां कहा जाता है कि भगवान राम, अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ, अपने निर्वासन के दौरान इस सुरम्य झील के पास विश्राम किया था।

शांत वातावरण के बीच स्थित, राम सरोवर एक शांत नखलिस्तान है जो भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है। शांतिपूर्ण माहौल, आध्यात्मिक आभा के साथ मिलकर, इसे प्रार्थना और ध्यान के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनाता है।

7. Guru Bali Nath ji ashram

Ramdevra me ghumne ki jagah

गुरु बाली नाथ जी आश्रम नाथ परंपरा का एक आध्यात्मिक केंद्र है, जो हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है जो योग और ध्यान पर केंद्रित है। यह आश्रम लूनियावास, जयपुर में स्थित है, और श्री बाबा बाल नाथ को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। आश्रम भक्तों के लिए उपचार, सत्संग, यज्ञ और त्यौहार जैसी विभिन्न सेवाएँ और गतिविधियाँ प्रदान करता है। आश्रम का एक फेसबुक पेज भी है1 जहां आप आश्रम और उसके कार्यक्रमों के बारे में तस्वीरें, वीडियो और पोस्ट देख सकते हैं।

नाथ परंपरा का एक और आश्रम गुरु गोरखनाथ योगाश्रम है, जो राजस्थान के सिरोही में स्थित है। यह आश्रम अधिक सख्त और अनुशासित है, और वास्तविक गुरुओं के मार्गदर्शन में पारंपरिक योग और ध्यान के गहन पाठ्यक्रम प्रदान करता है। आश्रम सुंदर प्रकृति से घिरा हुआ है और इसमें साधकों के लिए मंदिर, हॉल और कमरे हैं। आश्रम जनता के लिए खुला है, लेकिन इसके लिए दान और अनुशासन संहिता का पालन करना आवश्यक है।

8. Panch Pipli

Ramdevra me ghumne ki jagah

राजस्थान के मध्य में स्थित पंच पिपली राज्य की जीवंत संस्कृति और समृद्ध विरासत का सर्वोत्कृष्ट प्रतिबिंब है। सुनहरी रेत और शुष्क परिदृश्य के बीच बसा यह मनमोहक गाँव, एक ऐसा आकर्षण रखता है जो प्रामाणिक राजस्थानी अनुभव चाहने वाले यात्रियों को आकर्षित करता है।

“पंच पिपली” नाम का अर्थ “पांच पीपल के पेड़” है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता के साथ गांव के संबंध का प्रतीक है। जैसे ही सूरज रेगिस्तानी आसमान को नारंगी और गुलाबी रंग से रंगता है, इन प्राचीन पेड़ों की आकृतियाँ लम्बे समय की कहानियाँ फुसफुसाती हुई खड़ी होती हैं।

पंच पिपली की संकरी गलियों में घूमते हुए, आपको दैनिक जीवन के हर पहलू में जटिल रूप से बुनी गई राजस्थानी परंपराओं की एक टेपेस्ट्री का सामना करना पड़ता है। रंग-बिरंगी पगड़ी और घाघरा (स्कर्ट) से सजी स्थानीय लोगों की जीवंत पोशाक, इस क्षेत्र की जीवंतता को दर्शाती है।

ग्रामीणों का हार्दिक आतिथ्य आगंतुकों को गले लगाता है, और उन्हें सदियों पुराने रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। घूमर और कालबेलिया जैसे जटिल लोक नृत्य, पारंपरिक वाद्ययंत्रों की मधुर धुनों के साथ, दर्शकों को राजपूत भव्यता के युग में ले जाते हैं।

9. Shri ashapura mataji Mandir

Ramdevra me ghumne ki jagah

राजस्थान में स्थित श्री आशापुरा माताजी मंदिर गहन आध्यात्मिक महत्व और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। राजस्थान के मनमोहक परिदृश्य में स्थित, यह पवित्र स्थल भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है, जो आस्था, इतिहास और स्थापत्य वैभव का एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है।

सुंदर परिवेश के बीच स्थित, मंदिर की वास्तुकला जटिल डिजाइन और विस्तृत शिल्प कौशल को दर्शाती है, जो क्षेत्र की कलात्मक विरासत को दर्शाती है। जीवंत रंगों और पारंपरिक रूपांकनों से सजे इसके संरचनात्मक चमत्कार, शांति और भक्ति की आभा पैदा करते हैं।

शक्ति, करुणा और सुरक्षा के अवतार के रूप में प्रतिष्ठित माताजी से आशीर्वाद और दिव्य मार्गदर्शन लेने के लिए भक्त आशापुरा माताजी मंदिर जाते हैं। हवा भजनों, प्रार्थनाओं और धूप की सुगंध से भरी हुई है, जो आध्यात्मिक चिंतन के लिए अनुकूल एक शांत माहौल को बढ़ावा देती है।

मंदिर का गर्भगृह दैवीय ऊर्जा की आभा बिखेरता है, जो आगंतुकों को देवी के सम्मान में अनुष्ठानों और समारोहों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। तीर्थयात्री पुष्पांजलि, पवित्र मंत्रों और भक्ति के कृत्यों के माध्यम से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए, विभिन्न चढ़ावे में संलग्न होते हैं।

10. Pokaran Fort

Ramdevra me ghumne ki jagah

राजस्थान के थार रेगिस्तान में स्थित पोकरण किला एक शानदार ऐतिहासिक संरचना है जो क्षेत्र की समृद्ध विरासत और वीरता का प्रतीक है। किले का नाम “पोकरण” का अनुवाद “पांच मृगतृष्णाओं का स्थान” है, जो शुष्क परिदृश्य में दिखाई देने वाले झिलमिलाते भ्रम का प्रमाण है।

पीले बलुआ पत्थर का उपयोग करके निर्मित, यह किला रेगिस्तान के विस्तार के बीच गर्व से खड़ा है, इसकी मजबूत दीवारें और बुर्ज इसकी अभेद्य प्रकृति की कहानियां सुनाते हैं। व्यापार मार्ग पर इसकी रणनीतिक स्थिति ने इसे राजस्थान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण गढ़ बना दिया, जो लुटेरों और आक्रमणकारियों से कारवां की रक्षा करता था।

पोकरण किले की वास्तुकला आसपास के रेगिस्तान के साथ मेल खाती है, जिसमें इसके द्वार और दीवारों पर जटिल नक्काशी और विस्तृत डिजाइन हैं। किले के लेआउट में परस्पर जुड़े हुए कक्ष, आंगन और महलनुमा क्वार्टर शामिल हैं, जिनमें कभी राजपरिवार, सैनिक और स्थानीय आबादी रहा करती थी।

पोकरण किले से जुड़ी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना 1998 में भारत सरकार द्वारा किया गया परमाणु हथियार परीक्षण है। “ऑपरेशन शक्ति” नामक ये परीक्षण पास में ही किए गए, जिन्होंने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया और भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित किया।

रामदेवरा कैसे पहुँचें ?

  • वायुमार्ग: सबसे आसान तरीका है हवाई यात्रा से। निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है, जो लगभाग 180 किलोमीटर दूर है। आप जोधपुर एयरपोर्ट से टैक्सी, बस या निजी वाहन से रामदेवरा तक पहुंच सकते हैं।
  • रेलवे: जोधपुर रेलवे स्टेशन रामदेवरा के लिए सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है। यहां से आप टैक्सी, बस या निजी वाहन से रामदेवरा तक जा सकते हैं।
  • सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से भी आप रामदेवरा पहुंच सकते हैं। राजस्थान में अच्छी तरह से जुड़ी हुई सड़कें हैं। आप जोधपुर, बीकानेर, या अन्य शहर से बस, टैक्सी, या अपनी गाड़ी से रामदेवरा तक जा सकते हैं।

Ramdevra Map

FAQs

बाबा रामदेवजी महाराज कौन थे?

बाबा रामदेवजी महाराज 14वीं सदी के संत और लोक देवता थे जो अपनी निस्वार्थ भक्ति और चमत्कारों के लिए पूजनीय थे। ऐसा माना जाता है कि उनके पास अलौकिक शक्तियां हैं और लोग उनकी पूजा करके स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद मांगते हैं।

रामदेवरा का महत्व क्या है?

रामदेवरा बाबा रामदेवजी महाराज की समाधि के लिए प्रसिद्ध है। भारत के विभिन्न हिस्सों से भक्त संत को श्रद्धांजलि देने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए इस पवित्र स्थान पर आते हैं। यह स्थान रामदेवजी संप्रदाय के अनुयायियों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

रामदेवरा कैसे पहुँचें?

परिवहन के विभिन्न साधनों के माध्यम से रामदेवरा पहुंचा जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है, और निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन जोधपुर रेलवे स्टेशन है। इन बिंदुओं से, रामदेवरा पहुंचने के लिए कोई टैक्सी, बस या निजी वाहन किराए पर ले सकता है। यह जोधपुर और बीकानेर जैसे नजदीकी शहरों से सड़क मार्ग द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।

रामदेवरा में कौन से त्यौहार मनाये जाते हैं?

रामदेवरा में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार रामदेव जयंती है, जो बाबा रामदेवजी महाराज की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार भव्य उत्सवों, भक्ति गीतों, जुलूसों और भक्तों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठानों द्वारा चिह्नित है।

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