केदारनाथ हिमालय की गोद में बसा एक प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल है जो भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यहां का मुख्य आकर्षण केदारनाथ मंदिर है जिसे भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित किया गया है। मंदिर का निर्माण अद्वितीय वास्तुकला के साथ किया गया है और यह तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
केदारनाथ तीर्थस्थल की शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर को पहुंचने के लिए यात्रीगण हिमालयी पाथयात्रा पर निकलते हैं जिसमें किलोमीटरों की लम्बी और कठिन यात्रा शामिल है।
इस स्थल पर केदारनाथ मंदिर के साथ ही कई प्राकृतिक सौंदर्य स्थल भी हैं जैसे कि चोपटा, त्रियुगी नारायण मंदिर और वासुकी ताल। यहां की शांतिपूर्ण वातावरण और धार्मिक माहौल यात्रीगण को आत्मा को शुद्धि और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाने का अवसर प्रदान करते हैं। Kedarnath Me Ghumne ki Jagah
1.केदारनाथ मंदिर :- Kedarnath Me Ghumne ki Jagah
केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है जो हिमालय की गोद में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के पास किया गया है, जिसे महाभारत के काल से ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिर की शिखर की ऊँचाई लगभग 3,583 मीटर (11,755 फीट) है और यह वर्ष के कुछ ही महीनों के लिए खुलता है, ज्यादातर मई से नवम्बर तक।
मंदिर के आस-पास की प्राकृतिक सौंदर्यग्रंथी वादियाँ, हिमालयी पर्वत श्रृंगार, और पवित्र केदारनाथ जलस्रोत से घिरी होती हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रीगण को गर्मियों में कठिन पथ, बर्फबारी, और आरामदायक सुरंग का सामना करना पड़ता है।
केदारनाथ मंदिर को भगवान शिव की तपस्या स्थली के रूप में माना जाता है, जिसमें वे पांडवों के द्वारा देवभूमि की पुनरावृत्ति के बाद प्रकट हुए थे। यहां की धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल ने इसे तीर्थयात्रीयों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बनाया है जहां आने वाले लाखों श्रद्धालु शिव की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की कोशिश करते हैं।
2.वासुकी ताल :-
वासुकी ताल, भारतीय राज्य उत्तराखंड के केदारनाथ धाम के निकट स्थित एक प्राकृतिक झील है। यह ताल महाभारत काल में वासुकी नाग की पूजा के लिए माना जाता था, जो कि हिन्दू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण नाग है।
वासुकी ताल की सुंदरता और शांति आकर्षण के केंद्र होते हैं। यह ताल एक प्राकृतिक सौंदर्यग्रंथी वादियों में स्थित है और हिमालयी पर्वतों की झलक दिखाता है। यह एक पैदल यात्रा के दौरान प्राकृतिक आश्रय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है और तीर्थयात्रियों के बीच मशहूर है।
वासुकी ताल को पहुंचने के लिए आमतौर पर केदारनाथ से कुछ किलोमीटर की पैदल यात्रा की जाती है। यात्रा के दौरान आपको प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का मौका मिलता है और आप वन्यजीवों के साथ भी आकस्मिक मुलाकात कर सकते हैं।
वासुकी ताल का पानी क्रिस्टल क्लियर होता है और यह ताल वन्यजीवों के लिए भी आवास स्थल होता है, जैसे कि हिरण, बारहसिंगा, और वन्यबकरा। यह एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थल है जो की यात्रीगण के लिए आश्रय प्रदान करता है और उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाने का अवसर प्रदान करता है।
3.सोनप्रयाग
सोनप्रयाग भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख प्राकृतिक सौंदर्य स्थल है जो गंगोत्री और यमुनोत्री के धामों के बीच स्थित है। यह स्थल यमुना और भागीरथी नदियों की संगम स्थली के रूप में महत्वपूर्ण है और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
सोनप्रयाग का नाम इसलिए है क्योंकि यहां यमुना और भागीरथी नदियों का मिलन होता है, जिसका पानी सोने की तरह चमकता है। यह नदियों का संगम स्थल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक माना जाता है और लोग यहां आकर अपने पापों की क्षमा और शुद्धि की प्रार्थना करते हैं।
सोनप्रयाग में एक प्रमुख मंदिर है जो भगवान विश्वनाथ को समर्पित है। यह मंदिर केदारनाथ मंदिर के पास स्थित है और धार्मिक यात्रियों का प्रमुख आकर्षण होता है।
सोनप्रयाग का स्थल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है, और यहां की आलंबिका नदी किनारे की खूबसूरती और शांति का आनंद उठाने के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
सोनप्रयाग यात्रियों के बीच एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
4.त्रियुगी नारायण मंदिर
त्रियुगी नारायण मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर केदारनाथ धाम के बीच स्थित है और यहां पर विष्णु भगवान की प्रतिमा पूजनीय है।
त्रियुगी नारायण मंदिर की विशेषता यह है कि यहीं पर भगवान विष्णु और भगवान लक्ष्मी की विवाह का स्थल माना जाता है, जिसे हिन्दू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण बताया गया है।
मंदिर के स्थल की खूबसूरती और प्राकृतिक आकर्षण भी यहां की महत्वपूर्ण विशेषताओं में शामिल हैं। मंदिर के पास बसे छोटे से ताल का दृश्य भी यहां की खासियतों में से एक है।
त्रियुगी नारायण मंदिर के पास कुछ और धार्मिक स्थल भी हैं, जैसे कि आदि केदार मंदिर और उखिमठ मंदिर। यहां की प्राकृतिक सौंदर्य, आध्यात्मिक माहौल और धार्मिक महत्व के संयोजन ने इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बना दिया है।
त्रियुगी नारायण मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म की महत्वपूर्ण पहचानों में से एक है और यहां के धार्मिक महत्व को साक्षात करने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।
5.देवरिया
देवरिया ताल भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्राकृतिक झील है जो चौपाता दिस्त्रिक्ट में पाया जाता है। यह ताल आपको प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर और शांति की अनूठी अनुभूति प्रदान करता है।
देवरिया ताल की खासियत यह है कि इसका पानी मिलते ही एक प्राकृतिक झील बन जाता है जिसमें आसमान की छवियाँ पलकों के माध्यम से प्रकट होती हैं। सुबह के समय इस ताल के पानी में आसमान का आभास दिखता है, जिसे लोग सूर्योदय के साथ देखने के लिए यहां आते हैं।
देवरिया ताल के पास वाल्य बबा की यात्रा स्थल भी है, जिसे वाल्य बबा के अश्रम के रूप में माना जाता है। यहां के प्राकृतिक आवरण में मननीयता और शांति की अनूठी वातावरण मिलती है जो आध्यात्मिक अनुभव को और भी गहरा बनाती है।
यहां आने वाले पर्यटक अक्सर वाल्य बबा की यात्रा पर जाते हैं और देवरिया ताल के अपने पानी में अपने आपको देखने का आनंद उठाते हैं। यहां की प्राकृतिक सौंदर्यग्रंथी वादियाँ और विशाल आकाश आपके मन को शांति और स्थिरता की अनुभूति प्रदान करते हैं।
6.कालीमाथ
कालीमाथ एक प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल है, जो भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह स्थल हिमालयी पर्वतों के दीवार में स्थित है और मां काली की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
कालीमाथ को देवी काली की पूजा के लिए समर्पित किया गया है, जिन्हें हिन्दू धर्म में शक्ति और शक्तिस्वरूप मां रूप माना जाता है। मंदिर के पास एक पत्थर से बने मूर्ति है जिसमें मां काली की प्रतिमा स्थित है।
कालीमाथ का स्थल अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, और यहां के पर्यटक ध्यान और मनन का अवसर प्राप्त करते हैं। यहां की प्राकृतिक सौंदर्यग्रंथी वादियाँ और पर्वतीय दृश्यग्रंथी आपको अपने आसपास के प्राकृतिक माहौल का आनंद लेने का अवसर प्रदान करती हैं।
इसके अलावा, कालीमाथ का तालाब भी है जिसे “काली कामां ताल” के नाम से जाना जाता है। यह ताल कालीमाथ के पास स्थित है और यहां के पर्यटक तालाब के किनारे विश्राम करने आते हैं।
कालीमाथ यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो शांति, ध्यान, और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
7.रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख प्राकृतिक सौंदर्य स्थल है जो मंदकिनी और अलकनंदा नदियों की संगम स्थली के रूप में महत्वपूर्ण है। यह स्थल हिमालयी पर्वत श्रृंगार में स्थित है और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
रुद्रप्रयाग का नाम उन एकादश रुद्रों से आया है जिन्होंने यहां पर भगवान शिव की पूजा की थी। यह स्थल हिन्दू पौराणिक कथाओं में भी महत्वपूर्ण है और यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता भी अत्यंत आकर्षणीय है।
रुद्रप्रयाग धार्मिक यात्राओं के लिए महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, और यहां के पर्यटक आकर्षक मंदिरों, आश्रमों और तापोवनों की यात्रा पर जाते हैं।
यहां का संगम स्थल, जहां मंदकिनी और अलकनंदा नदियाँ मिलती हैं, खासतर सुबह के समय काफी आकर्षक होता है। यहां से दूरबीन की मदद से आप पर्वत श्रृंगार की अद्वितीय छवियाँ देख सकते हैं।
रुद्रप्रयाग यात्रियों के बीच एक प्रमुख धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती, शांति और ध्यान का वातावरण यात्रियों को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।
8.गुप्तकाशी
गुप्तकाशी भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख प्राकृतिक सौंदर्य स्थल है जो केदारनाथ धाम के बीच स्थित है। यह स्थल गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच स्थित होने के कारण धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
गुप्तकाशी का नाम इसलिए है क्योंकि यहां पर भगवान विष्णु की मूर्ति गुप्त रखी गई है, जो नकली नहीं होने के बावजूद ‘गुप्त’ (छिपा हुआ) कहलाई गई।
गुप्तकाशी में भगवान विष्णु के मंदिर के अलावा भी कई प्राचीन मंदिर और आश्रम हैं जिन्हें पर्यटक दर्शनीय मानते हैं। यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता भी यहां के पर्यटकों को खींचती है।
गुप्तकाशी का आध्यात्मिक महत्व भी बहुत उच्च है, और यहां के पर्यटक ध्यान और मनन के लिए आते हैं। यहां के मंदिरों में पूजा और साधना करने का विशेष माहौल होता है जो आध्यात्मिक अनुभव को और भी गहरा बनाता है।
गुप्तकाशी यात्रियों के बीच एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती, शांति, और आध्यात्मिक अनुभव का वातावरण यात्रियों को आकर्षित करता है।
9.कार्तिक स्वामी मंदिर
कार्तिक स्वामी मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर गर्वाल हिमालय की पर्वत श्रृंगार में स्थित है और विष्णु भगवान के आवतार भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) को समर्पित है।
कार्तिक स्वामी मंदिर एक चढ़ाई की यात्रा के बाद पहुंचे जाने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। मंदिर की स्थिति ऊँची पहाड़ी पर होने के कारण यहां से आपको पर्याप्त प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी मिलता है।
कार्तिक स्वामी मंदिर की यात्रा आपको अपने आपको ध्यान, मनन और स्वाध्याय में लीन करने का अवसर प्रदान करती है। यात्रा के दौरान आपको प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी मिलता है, और आपका मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है।
यात्री आमतौर पर बुग्याल गाँव से मंदिर तक की पैदल यात्रा करते हैं, जिसमें उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद और आध्यात्मिक महत्व का अनुभव होता है।
कार्तिक स्वामी मंदिर का वातावरण शांति, ध्यान और आध्यात्मिकता को प्रोत्साहित करता है और यात्रियों को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
10.काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर में स्थित है और यह हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और विश्वनाथ नामक शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है।
काशी विश्वनाथ मंदिर काशी नगर के पुराने शहर में स्थित है और यहां के हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को काशी के विश्वनाथ के नाम पर संज्ञाना किया गया है, जो भगवान शिव के एक रूप को दर्शाते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह संभवत: 11वीं या 12वीं सदी में निर्मित हुआ था। मंदिर की संरचना में नागर शैली का शिल्प काम दिखता है और इसकी महत्वपूर्ण विशेषता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किसी भी हिन्दू के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, और यहां के प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए और धार्मिक आदर्शों का पालन करने के लिए।
काशी विश्वनाथ मंदिर के आस-पास कई धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनते हैं। यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल ने इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना दिया है जहां लोग आकर्षित होते हैं।
11.टिहरी बांध
टिहरी बांध, भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण हैड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना है। यह गंगा नदी के धारावाहिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ऊर्जा उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है।
टिहरी बांध का निर्माण वर्ष 1978 से लेकर 2006 तक चला था और इसका मुख्य उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन करना था। यह दुनिया का प्रमुख और सबसे ऊँचा आर्च डैम है, जिसका ऊँचाई परिवर्तन निगम स्थिति के हिसाब से 260.5 मीटर है।
टिहरी बांध के निर्माण के साथ-साथ कई गांवों को भी समाप्त किया गया था, जिनकी स्थितियों को समुचित रूप से नियंत्रित करने के लिए नए स्थानों पर बसाया गया।
यह परियोजना भारतीय विद्युत प्राधिकरण (बीईईएसई) द्वारा संचालित होती है और इससे उत्तराखंड राज्य को सुरक्षित और स्थायी ऊर्जा की आपूर्ति होती है। यहां से उत्पन्न ऊर्जा को बीईएसई द्वारा विभिन्न राज्यों में बेचा जाता है, जिससे विद्युत क्षेत्र में सुधार होता है।
टिहरी बांध का निर्माण सुरक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन इसके निर्माण के पर्याप्त आवश्यकताओं के साथ-साथ उसके पर्याप्त प्रभाव और परिणामों को समझना भी महत्वपूर्ण है।
12.मध्यमहेश्वर मंदिर
मध्यमहेश्वर मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर हिमालयी पर्वतों में स्थित है और यात्रियों के बीच धार्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है।
मध्यमहेश्वर मंदिर का नाम इसलिए है क्योंकि यह श्रीकेदारनाथ मंदिर के बाद द्वितीय श्रेणी के श्रेणी में आता है, और यह मंदिर केदारनाथ के पूरे प्रकार के साथियों के लिए महत्वपूर्ण है।
मध्यमहेश्वर मंदिर एक पायल के शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, और यहां के पर्यटक विशेष रूप से पूजा और ध्यान के लिए आते हैं। यात्रा के दौरान यात्रियों को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी मिलता है, और उनका मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है।
मध्यमहेश्वर मंदिर के आस-पास कई आलीशान और शांतिपूर्ण स्थल हैं, जिन्हें पर्यटक दर्शनीय मानते हैं। यहां का वातावरण शांति, ध्यान और आध्यात्मिकता को प्रोत्साहित करता है और यात्रियों को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
13.अगस्त्यमुनि
अगस्त्यमुनि एक प्रमुख ऋषि और महर्षि थे जो भारतीय परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वे हिमालय के प्रमुख ऋषियों में से एक थे और उन्होंने विभिन्न धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिष ग्रंथों का योगदान किया।
अगस्त्यमुनि के नाम से संबंधित कई पुराणिक कथाएँ हैं, जो उनके जीवन और कार्यों के बारे में बताती हैं। वे ऋग्वेदीय समय से लेकर उपनिषदों और पुराणों तक के कई युगों तक भारतीय संस्कृति के भाग रहे हैं।
अगस्त्यमुनि को दक्षिण भारत के महाकवि कवी पट्टन नारायणन पिल्लाई (कलिदास के बाद के बड़े महाकवि) ने महाकविता ‘अगस्त्य विलासम्’ के माध्यम से समर्पित किया था। यह महाकविता उनके जीवन, कार्य और योगदान की कहानी को व्यक्त करती है।
अगस्त्यमुनि ने विज्ञान, ज्योतिष, आयुर्वेद, योग, और धर्म से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना की और उन्होंने धार्मिक शिक्षा और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में अपना योगदान दिया।
अगस्त्यमुनि का नाम भारतीय संस्कृति के अद्भुत धार्मिक और आध्यात्मिक विचारधारा में एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में है, और उनका योगदान आज भी हमारी संस्कृति और जीवनशैली को प्रभावित करता है।
केदारनाथ पहुँचने के कई तरीके हो सकते हैं। मैं आपको कुछ मुख्य तरीकों के बारे में बता रहा हूँ:
- हेलीकॉप्टर: सबसे आसान और तेज़ तरीका केदारनाथ पहुँचने का है हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग करना। फतेहसागर उत्तराखंड सरकार के द्वारा संचालित हेलीकॉप्टर सेवा के जरिए आप गुप्तकाशी से केदारनाथ जा सकते हैं।
- पैदल यात्रा: केदारनाथ पैदल भी जा सकते हैं। गौरिकुंड से केदारनाथ की पैदल यात्रा का आनंद लें, जो कि लगभग 16 किलोमीटर की है। यह यात्रा थोड़ी कठिन हो सकती है क्योंकि यह ऊँचाइयों में होती है, लेकिन आपको प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक अनुभव का अद्वितीय महत्वपूर्ण अनुभव मिलेगा।
- मूल बद्री की तरफ से: आप मूल बद्री की ओर से भी केदारनाथ पहुँच सकते हैं, जो लगभग 18-20 किलोमीटर की दूरी पर है।
- वाहन: आप गुप्तकाशी से हमारी, कार, टैक्सी या बस सेवाएँ भी उपयोग करके केदारनाथ पहुँच सकते हैं।
कृपया ध्यान दें कि केदारनाथ यात्रा के दौरान मौसम की स्थिति की जांच कर लें और आवश्यक सुरक्षा उपायों का पालन करें। यात्रा की योजना बनाते समय स्थानीय प्राधिकरणों से भी जानकारी प्राप्त करें।
Kedarnath Maps
FAQs
केदारनाथ क्या है?
केदारनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक शहर है। यह हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
केदारनाथ क्यों महत्वपूर्ण है?
हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता में केदारनाथ का बहुत महत्व है। यह चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है और माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करते हैं।
मैं केदारनाथ कैसे पहुँचूँ?
केदारनाथ की यात्रा में आमतौर पर गौरीकुंड से पैदल यात्रा शामिल होती है, जो सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, और निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है।
केदारनाथ जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
केदारनाथ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के महीनों के दौरान है जब मौसम ट्रैकिंग और तीर्थयात्रा के लिए सुखद होता है। सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद रहता है।
केदारनाथ यात्रा कैसी है?
केदारनाथ ट्रेक गौरीकुंड से शुरू होता है और लगभग 14 किलोमीटर लंबा है। यह एक कठिन और चुनौतीपूर्ण ट्रेक है, जो सुरम्य परिदृश्यों से होकर गुजरता है और हिमालय के मनमोहक दृश्य पेश करता है।
क्या केदारनाथ के आसपास कोई आकर्षण हैं?
हां, केदारनाथ के पास वासुकी ताल, चोराबारी ताल (गांधी सरोवर), त्रियुगीनारायण मंदिर और आदि शंकराचार्य समाधि जैसे आकर्षण हैं जिन्हें पर्यटक अक्सर देखते हैं।
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